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ISIS विचारधारा द्वारा भारतीय मुस्लिम युवकों को आतंकवाद की तरफ धकेलना: भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती

4th estate News
Sandeep Mittal

BY 4TH ESTATE NEWS ON OCTOBER 9, 2020

हिजब्- उत्- तहरीर और “कुरान सर्कल” आतंकवादी संगठन

हाल ही में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी द्वारा दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में रहने वाला अहमद अब्दुल कादिर और बेंगलुरु का इरफान नासिर बेंगलुरु में ISIS के एक मॉड्युल का हिस्सा थे। यह दोनों आतंकवादी संगठन हिजब्- उत्- तहरीर के सदस्य थे और उन्होंने अपना एक आतंकवादी संगठन “कुरान सर्कल” के नाम से बनाया था। “कुरान सर्कल” का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम युवकों को बहला-फुसलाकर एवं गुमराह करके सीरिया के युद्ध ग्रस्त इलाकों में प्रशिक्षण के लिए भेजना था और उसके लिए वे उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करते थे।

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The muslim youth is allegedly being misguided to join terror ranks by these ISIS modules

इस प्रकार के आतंकवादी संगठन भारत की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। ऐसा लगता है कि यह समुद्र में डूबे हुए हिम शिखर की चोटी समान ही है क्योंकि इस प्रकार के छोटे-छोटे मॉड्यूल मुस्लिम युवा को गुमराह करने में देश के कई कोनों में कार्यरत होंगे।

इंटेलिजेंस एवं इन्वेस्टिगेशन एजेंसीज के बीच गंभीर समन्वय आवश्यक

यह एक चिंता का विषय है और इस गंभीर समस्या को समझने और संभालने के लिए सभी इंटेलिजेंस एवं इन्वेस्टिगेशन एजेंसीज के बीच में एक गंभीर समन्वय की आवश्यकता है। वित्तीय चैनल्स जैसे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, पेटीएम मनी ट्रांसफर, क्राउड फंडिंग आदि की मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है। इस प्रकार की वित्तीय आदान-प्रदान को विभिन्न अन्वेषण एवं आसूचना इकाइयों को कैसे अवगत कराया जाए उसके लिए कृत्रिम आसूचना तकनीक (Artificial Intelligence) का उपयोग करते हुए इंटरनेट डार्क नेट और अन्य सोशल मीडिया अन्वेषण आदि की व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाना और चलाना होगा।

आजकल कई प्रकार की एप्स प्ले स्टोर आदि पर उपलब्ध हैं जिनके द्वारा गुप्त मैसेज भेजे जा सकते हैं। पढ़ने के बाद यह गुप्त मैसेज अपने आप खत्म हो जाते हैं ताकि कोई भी इंटेलिजेंस एजेंसी या इन्वेस्टिगेशन एजेंसी इन मैसेजेस को ना पढ़ सके। इस प्रकार की ऐप्स को भारत में डाउनलोड करने के लिए एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा कि जो भी व्यक्ति इन सीक्रेट मैसेजिंग एप्स को डाउनलोड करे उसके IMEI एवं आधार नंबर और बैंक अकाउंट से उस ऐप को लिंक कर दिया जाए।

इस ऐप के निर्माता इन शर्तों के लिए कभी तैयार नहीं होंगे। परंतु भारत सरकार, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ( ISPs ) को कहकर गेटवे पर ही इस सुविधा को प्रारंभ कर सकती है। जो व्यक्ति भी इन सीक्रेट मैसेजिंग एप्स को डाउनलोड करें उनकी पूरी लिस्ट, आईपी ऐड्रेस, आधार आईडी के साथ भारत सरकार की किसी एक निर्धारित एजेंसी को भेज दिया जाए। इन एप्स को डाउनलोड करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखी जाए।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की प्रभुत्व-संपन्नता के साथ खिलवाड़

आज जहां पश्चिमी एवं यूरोपीय देशों में अपनी आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूर्ण रूप से सतर्कता बरती जा रही है, वहीं भारत में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के आड़ में भारत की आंतरिक सुरक्षा के साथ कई तरीकों से खिलवाड़ करने की कोशिश की जा रही है। हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपने देश की प्रभुत्व-संपन्नता के साथ किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार का खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देनी है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के साथ असहयोग

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा भी आंतरिक सुरक्षा एजेंसीज के साथ समन्वय एवं सहयोग नहीं किया जा रहा है। इसका कारण भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देशित करने के लिए कोई प्रभावी कानून का ना होना है। इस विषय में भी जल्दी से जल्दी एक प्रभावी कानून बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ साथ भारत सरकार को संविधानिक तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी कानून एवं उसके अंतर्गत दी जाने वाली सजा में भी उचित प्रकार के संशोधन करने होंगे ताकि इस प्रकार के देशद्रोही और आतंकवादी कानून की आड़ में कानून के शिकंजे से बच ना पाऐं।

हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय विधि विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की है। इस प्रकार की विद्वत संस्थाएं यदि देश की अन्वेषक एवं सूचना संस्थाओं के साथ मिलकर कृत्रिम आसूचना तकनीक के विषय में अनुसंधान करेंगे तो जल्द ही विश्वसनीय एवं ठोस नतीजे हमारी सुरक्षा संस्थाओं के हाथ आएंगे।

Sandeep Mittal, IPS is a Postgraduate in Cyber Defence and Computer Forensics and hold Doctorate in Cyber Security. He taught Cyberspace Investigation to functionaries of Criminal Justice Administration. The academic views expressed here are his own and may not reflect the views of Organisations where he works.

©️ The content of this Article is intellectual property of The 4th Estate and can not be used except with prior written consent of the Editor, The 4th Estate.

Shri Sandeep Mittal, an IPS Officer of 1995 Batch, completed B. Sc. (Honours) Geology with University Gold Medal and M.Sc. Applied Geology with University Gold Medal, both from University of Delhi. He earned Degree of Master’s in Police Management from Osmania University, Diploma in Cyber Security and Postgraduate Diploma in Cyber Crime Investigation and Cyber Forensics from Gujarat Forensic Science University, Gandhinagar . He is a Postgraduate in Cyber Defence and Information Assurance from Cranfield University, UK. He conducted a number of experiments in people friendly policing to bridge the divide between police and public. He headed the Security of Asia Pacific’s largest prison i.e. Tihar Prisons, New Delhi. While serving in Narcotics Control Bureau under Ministry of Home Affairs, Government of India as Zonal Director he was instrumental in liquidating a number of National and International drug syndicates and developed his skills in cyber crime investigation. He is a Chevening Cyber Security Fellow, UK; a Commonwealth Scholar in Internet Law & Policy a t University of Strathclyde, UK; an Associate of Institute of Defence Studies and Analyses, New Delhi and a Life Member of United Services Institution of India, New Delhi; Indian Society of Criminology, India and Indian Institute of Public Administration, New Delhi. He is member, Editorial Board of Indian Journal of Criminology and Criminalistics, a peer reviewed journal. He has published research papers in reputed peer reviewed Journals.

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